Tumbbad Film: 21 साल इंतजार के बाद बनी Tumbbad फिल्म, बेहतरीन कहानी और डायरेक्शन ने बनाया खास

साल 2022 की सबसे हिट फिल्मों में से एक 'कांतारा' (Kantara) को देशभर के दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस कन्नड़ फिल्म ने दुनिया भर में लगभग 446 करोड़ रुपये की कमाई कर बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। फिल्म का बजट मात्र 16 करोड़ रुपए है.......

Tumbbad Film: 21 साल इंतजार के बाद बनी Tumbbad फिल्म, बेहतरीन कहानी और डायरेक्शन ने बनाया खास

साल 2022 की सबसे हिट फिल्मों में से एक 'कांतारा' (Kantara) को देशभर के दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस कन्नड़ फिल्म (kannada movie) ने दुनिया भर में लगभग 446 करोड़ रुपये की कमाई कर बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। फिल्म का बजट मात्र 16 करोड़ रुपए है। साल 2018 में भी इसी तरह की एक फिल्म रिलीज हुई थी, जिसका नाम 'तुंबाड' (Tumbbad) था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा सफल तो नहीं हो पाई, लेकिन दर्शकों की पसंदीदा फिल्मों की लिस्ट में यह अभी भी टॉप पर है। इसके पीछे कई कारण हैं।

दरअसल, 'कांतारा' (Kantara) की जबर्दस्त सफलता के बाद 'तुंबाड' और 'कांतारा' 'तुंबाड' (Tumbbad) के प्रशंसक सोशल मीडिया पर एक-दूसरे से भिड़ गए। किसी ने 'कांतारा' को बेहतर बताया होगा तो किसी ने 'तुंबाड' को। फैन्स की इस लड़ाई के बीच जब तुंबाड के क्रिएटिव डायरेक्टर आनंद गांधी ने एंट्री मारकर कांतारा की आलोचना की तो इसके फैन्स का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

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आनंद गांधी ने लिखा, 'तुंबाड' (Tumbbad) के सामने 'कांतारा' (Kantara) कुछ भी नहीं है। तुंबाड (Tumbbad) बनाने के पीछे मेरा आइडिया था। इसमें हमने जहरीली मर्दानगी और परलोक की चीजों का आतंक दिखाया था, जबकि 'कांतारा' (Kantara) इन्हीं चीजों को बढ़ावा देने वाली फिल्म है। आनंद के इस बयान के बाद 'कांतारा' (Kantara) के फैन्स ने उन्हें आंकड़े देखने की सलाह दी. साथ ही उन्हें  'कांतारा' (Kantara) के 400+ करोड़ रुपये और तुंबाड (Tumbbad) के 13.57 करोड़ रुपये के बीच का अंतर भी समझाया।

21 साल लगे तुंबाड को बनाने में - It took 21 years to make Tumbbad

निर्देशक राही अनिल बर्वे ने साल 1997 में तुंबाड की कहानी पर काम करना शुरू किया था। तब उनकी उम्र महज 18 साल थी। साल 2008 तक अनिल की कहानी पर आधा काम हो चुका था। इस बीच, वह किसी तरह फिल्म बनाने के लिए एक निर्माता खोजने में कामयाब रहे और मुख्य भूमिका में नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) को साइन किया। लेकिन कुछ समय बाद प्रोड्यूसर ने फिल्म छोड़ दी और नवाज ने भी फिल्म छोड़ दी। आखिरकार साल 2010 में अनिल ने करीब 700 पन्नों की कहानी तैयार की और दो साल बाद खुद फिल्म को फाइनेंस करने का फैसला किया।

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राही अनिल बर्वे ने साल 2012 में फिल्म में लीड रोल के लिए सोहम शाह को कास्ट किया था। विनायक के रोल के लिए सोहम को करीब 10 किलो वजन बढ़ाना था। फिल्म को 120 दिनों में शूट किया गया था, जब फिल्म बनकर तैयार हुई तो निर्देशक इससे संतुष्ट नहीं थे। इसके बाद उन्होंने फिल्म को फिर से लिखा और फिर से शूट किया। ऐसे में फिल्म को 2015 तक पूरा कर लिया गया। इस तरह तुम्बाड को पूरा होने में 6 साल लग गए। वहीं, फिल्म में दिखाए गए गर्भगृह के दृश्यों को बिना VFX के तैयार किया गया था।

बेहद खास है तुंबाड के बनने की कहानी - The story of making of Tumbad is very special

दरअसल, साल 1993 में राही अनिल बर्वे के दोस्त ने उन्हें वाइल्डलाइफ सेंचुरी (Wildlife Century) की कहानी सुनाई थी। ऐसी ही एक घटना वाइल्डलाइफ सेंचुरी (Wildlife Century) के एक कर्मचारी के साथ घटी। कहानी सुनकर अनिल हैरान रह गए। उन्होंने इसी आइडिया पर फिल्म बनाने का फैसला किया। 4 साल बाद अनिल ने कहानी पर काम करना शुरू किया। इस हिसाब से फिल्म का कॉन्सेप्ट 25 साल पुराना है। वहीं अनिल ने फिल्म का टाइटल मराठी नॉवेल (Marathi novel) 'तुंबडचे खोट' (Tumbdche Khot) से लिया है।

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ऐसा क्या खास है तुंबाड में - what is so special about tumbad

महज 5 करोड़ रुपये के बजट में बनी तुंबाड (Tumbbad) ने बॉक्स ऑफिस पर कुल 13.57 करोड़ रुपये की कमाई की। आंकड़ों के हिसाब से यह फिल्म सुपरहिट रही, लेकिन जो बात इस फिल्म को खास बनाती है, वह है इसकी बेहतरीन कहानी, शानदार पटकथा और शानदार सिनेमेटोग्राफी। इनके अलावा यह फिल्म कई मायनों में मास्टर पीस है।

कई बड़े पुरस्कार किये अपने नाम - Won many big awards in his name

सोहम शाह स्टारर 'तुंबाड' (Tumbbad) का प्रीमियर 'वेनिस फिल्म फेस्टिवल' (Venice Film Festival) में हुआ। इस फेस्टिवल में जाने वाली यह पहली भारतीय फिल्म थी। यह फिल्म हर मामले में एक मास्टर पीस फिल्म है। इस फिल्म ने कुल 21 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।

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