Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी के मुख्य अनुष्ठान क्या हैं और कैसे किया जाता है? (Ganesh Chaturthee Ke Mukhy Anushthaan Kya Hain Aur Kaise Kiya Jaata Hai)

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच आती है। यह त्योहार हिंदुओं द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी के मुख्य अनुष्ठान क्या हैं और कैसे किया जाता है? (Ganesh Chaturthee Ke Mukhy Anushthaan Kya Hain Aur Kaise Kiya Jaata Hai)

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है? (When is Ganesh Chaturthi celebrated)

गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच आती है। यह त्योहार हिंदुओं द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर लाते हैं और 10 दिनों तक पूजा करते हैं और 11वें दिन बड़े धूमधाम से गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करते हैं.

जब तक गणेश जी की मूर्ति स्थापित  रहती है, उन्हें प्रतिदिन स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, और प्रतिदिन धार्मिक मंत्रों का जाप करके उनकी पूजा की जाती है। भक्त, भगवान गणेश से उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

गणेश चतुर्थी के मुख्य अनुष्ठान क्या हैं, और साथ ही उन्हें कैसे किया जाता है?

गणेश चतुर्थी के मुख्य रूप से चार अनुष्ठान होते हैं। (mainly four rituals of Ganesh Chaturthi)

प्राणप्रतिष्ठा (Pranpratishtha)- इस प्रक्रिया में मूर्ति में भगवान (God) की स्थापना की जाती है।

षडोपचार (Shadopachar) - इस प्रक्रिया में भगवान गणेश को 16 रूपों (sixteen forms) में पुष्प अर्पित की जाती है।

उत्तरपूजा (Uttarpuja)- यह एक ऐसी पूजा है, जिसमें भगवान की स्थापना के बाद मूर्ति को कहीं भी ले जाया जा सकता है।

गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) - इस प्रक्रिया में मूर्ति को किसी नदी या किसी पानी वाले स्थान पर विसर्जित कर दिया जाता है।
 
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Method)

गणेश चतुर्थी पर सबसे पहले सुबह स्नान के बाद लाल कपड़े पहने जाते हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश को लाल वस्त्र अधिक प्रिय होते हैं। पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखा जाता है।

फिर गणेश जी का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। उनका पहले दूध से, फिर दही से, घी से, शहद से और अंत में पंचामृत में गंगा जल से अभिषेक किया जाता है। गणेश को रोली और कलावा का भोग लगाया जाता है। साथ ही सिंदूर भी चढ़ाया जाता है।

रिद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी और पान के पत्ते चढ़ाए जाते हैं। फिर फल, पीले कनेर के फूल और दूब चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद उनका मनपसंद मीठा मोदक चढ़ाया जाता है. भोग लगाने के बाद सभी गणेश जी की आरती गाते हैं। गणेश जी के 12 नाम और उनके मंत्रों का जाप करें।