Story Of Ganesh Chaturthi: क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म में क्या है इसका महत्व (Kyon Manaee Jaatee Hai Ganesh Chaturthee)

भारत में लोग कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा करते हैं। भगवान गणेश को विनायक और विघ्नहर्ता (Vinayaka and Vighnaharta) भी कहा जाता है। गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि और बुद्धि (Riddhi-Siddhi and wisdom)का दाता भी माना जाता है। इसलिए आज के इस लेख (article) में हम आपको गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) क्या है, और इसका महत्व (Ganesh Chaturthi importance), 2022 में ये कब पड़ने वाली है इसकी पूरी जानकारी प्रदान करेंगे। आइये जानते है कुछ रोचक बातें…..

Story Of Ganesh Chaturthi: क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म में क्या है इसका महत्व (Kyon Manaee Jaatee Hai Ganesh Chaturthee)

किसी भी काम को शुरू करने से पहले, सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा से शुरुआत करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश का महान पर्व गणेश चतुर्थी है जो की 31 अगस्त 2022 को पूरे देश में विशेष धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन हर घर में गणपति बप्पा विराजेंगे. इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे गणेशजी के बारे में कुछ खास रोचक बातें...

इसलिए कहते हैं गणेश (That's why it is called Ganesh)
गण का अर्थ है एक विशेष समुदाय या एक विशेष समूह। ईश का अर्थ है स्वामी। शिवगणों और सभी देवताओं के स्वामी होने के कारण उन्हें गणेश कहा जाता है। भगवान शिव के सेवकों के समुदाय के मुखिया होने के कारण भगवान गणेश को गणाध्यक्ष और गणेश कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में गण तीन प्रकार के होते हैं देवता, मनुष्य और दैत्य, तीनों ही शिव की पूजा करते हैं, बुद्धि के स्वामी होने के कारण गणेश को भी तीनों गणों द्वारा पूजा जाता है, इसलिए उन्हें गणेश भी कहा जाता है।

ये है गणेशजी का परिवार (This is Ganeshji's family)
शिव को गणेश का पिता, पार्वती को माता, कार्तिकेय को भाई, ऋद्धि-सिद्धि को उनकी पत्नियों, क्षेम व लाभ को गणेश के पुत्र के रूप में माना जाता है। कहीं-कहीं गणेश के पुत्र को शुभ और लाभ बताया गया है। गणेश की एक बहन भी है जिसका नाम मनसा देवी है।

इसलिए लंबोदर कहा जाता है (hence called lambda)
एक बार इंद्र से युद्ध करके गणेश जी को बहुत भूखा-प्यासा बना दिया। इसके बाद गणेश जी ने खूब फल खाए और खूब गंगाजल पिया। इस तरह उनका पेट बहुत बढ़ गया और उन्हें लंबोदर के नाम से पुकारा जाने लगा। गणेश जी का पेट लंबा होने के कारण वह बहुत सी चीजों को आसानी से अपने अंदर समा लेता है। नीलमत पुराण में भी गणेशजी के लंबे पेट की कथा मिलती है।

गणेश की सूंड (trunk of ganesh)
गणपति का एक नाम गजमुख भी है। उनके पास एक सूंड है, जो शक्ति का प्रतीक है। गणपति अपने माता-पिता की सूंड से उन पर जल बरसाकर उनकी पूजा करते हैं। गणेश की सूंड से देवता और दानव भी डरते हैं। यह सूंड उन्हें दूर से ही अच्छाई और बुराई जानने की क्षमता देती है।

इसलिए होती है छोटी आंखें (That's why small eyes)
कहा जाता है कि भगवान गणेश की आंखें छोटी हैं। दरअसल, गणेश जी की आंखें सूक्ष्म और तेज दृष्टि का सूचक मानी जाती हैं। उनकी छोटी आंखों के बावजूद, उनकी दूरदृष्टि है। वह अपने भक्त को कहीं से भी देख लेते है और उसके कल्याण के लिए तैयार रहता है।

बड़े कान वाले, सुपाकर्ण कहलाते हैं (Big ears, called Supakarna)
गणेश जी के बड़े कान सुनने की शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। उनका संदेश है कि हमें सबकी बात सुननी चाहिए। गणेशजी अपने लंबे कानों से यह संदेश देते हैं कि आधी बात मत सुनो, जो भी मामला है उसकी तह में जाओ और समझो। अधूरी बात सुनने से अक्सर गलतफहमी हो जाती है। गणेशजी समझाते हैं कि अधूरी बातें जानकर प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए।

महाभारत भी लिखी (also wrote mahabharat)
किंवदंती है कि महाभारत लिखने का काम भी गणेश ने ही किया था। जब भगवान वेदव्यासजी ने महाभारत की पूरी रूपरेखा तैयार की थी, तो उन्होंने गणपति जी से इसे लिखने का अनुरोध किया। ब्रह्माजी ने व्यासजी से यह काम गणेशजी से करवाने को कहा था। कहा जाता है कि गणेशजी ने अपने एक दांत से कलम बनाकर पूरी महाभारत लिखी थी। उत्तराखंड में व्यास गुफा के पास एक छोटी सी गुफा है जिसे गणेश गुफा कहा जाता है। माना जाता है कि इसी गणेश गुफा के पास महाभारत की रचना हुई थी।

हिंदुओं के 5 मुख्य देवताओं में से एक, गणपति (One of the 5 main deities of Hindus, Ganapati)

हिंदू धर्म के 5 प्रमुख देवताओं में शिव, विष्णु, दुर्गा, सूर्यदेव के अलावा गणेशजी को भी शामिल किया गया है। इन पांच देवताओं को पंचदेवता के रूप में माना जाता है। वैदिक काल से इनकी पूजा होती आ रही है। गणेश एक वैदिक देवता हैं, ऋग्वेद-यजुर्वेद में भी गणपतिजी के मंत्रों का उल्लेख मिलता है।

ओम को गणेश का वास्तविक रूप माना जाता है। जिस प्रकार प्रत्येक कार्य से पहले गणेश जी की पूजा करने का विधान है, उसी प्रकार प्रत्येक मंत्र का जाप करने से पहले ओम लगाने से उस मंत्र का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। गणेश पुराण में भगवान गणेश को परब्रह्म के रूप में वर्णित किया गया है, ओम को गणेश के उसी रूप का प्रतीक माना गया है।