बिहार के नवादा का इतिहास मगध साम्राज्य से है जुड़ा, पढ़िए पूरा आर्टिकल

नवादा बिहार राज्य में स्थित एक जिला है, जिसका इतिहास मगध साम्राज्य से जुड़ा है। नवादा शब्द "नव" और "आबाद" दो शब्द से बना है....

बिहार के नवादा का इतिहास मगध साम्राज्य से है जुड़ा, पढ़िए पूरा आर्टिकल

नवादा (Nawada) बिहार राज्य में स्थित एक जिला है, जिसका इतिहास मगध साम्राज्य से जुड़ा है। इसका मुख्यालय नवादा (Nawada) शहर में है। प्राचीन काल में वनाच्छादित होने के कारण इसका प्रसंग पाडंवों के अज्ञातवास में भी हुआ है। आज भी नवादा के कई प्रखंड वन से घिरे हैं, जैसे रजौली, कौआकोल, गोविन्दपुर इत्यादि।

नवादा (Nawada) शब्द "नव" और "आबाद" दो शब्द से बना है, अर्थात खुरी नदी के उत्तर में जो मानव बस्तियाँ बसी वह नव आबाद था, जिसे इंगित करने के लिए यह शब्द प्रयोग हुआ था। वर्तमान में नवादा जिला (Nawada District) की सीमा दक्षिण में झारखंड के कोडरमा जिले से सटी है।

पहले यह गया जिला के अधीन एक अनुमंडल था। 26 जनवरी 1973 को यह नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया। खुरी नदी और राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को इस जिले की जीवन रेखा माना जाता है। यातायात की समस्या से निजात दिलाने के लिए चार किलोमीटर की बाइपास सड़क का निर्माण कुछ दशक पूर्व रा. रा. -31 के लिए किया गया। यह बाइपास दक्षिण में सदभावना चौक से आरम्भ हो कर उतर में केन्दुआ गाँव के समीप मुख्य सड़क से मिल ज्ता है। दो सड़को के मिलन बिन्दु तथा शहर से समीपता के कारण केन्दुआ गाँव तेजी से भविष्य के आर्थिक केन्द्र के रूप में उभर रहा है। 

धालय, उच्च विधालय, उत्क्रमित मध्य विधालय के कारण केन्दुआ गाँव की पहचान विद्या स्थली के रूप में भी है, जहाँ नामांकन के लिए जिला तथा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से युवक- युवतियाँ आते हैं।नवादा (Nawada) का अपसाढ गाँव मगध क्षेत्र का सबसे प्राचीन गाँव मे से एक है, वहाँ की वराह प्रतिमा ईसा पूर्व पहली सदी की बताई जाती है।प्राप्त ताम्र पत्रों से यह जानकारी मिलती है कि अश्वमेध यज्ञ के पश्चात् राजा पुष्यमित्र शुंग ने नरसिंह शरमन् नाम के ब्राह्मण को अग्रहार स्वरूप यह गाँव देकर यहाँ बसाया था।

पर्यटन

पटना के दक्षिण-पूर्व में 93 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नवादा (Nawada) बिहार का एक खूबसूरत जिला है। ककोलत, प्रजातंत्र द्वार, बाबा की मजार व हनुमान मंदिर, सीतामढ़ी, नारद संग्रहालय, सेखोदेवरा और गुनियाजी तीर्थ आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। इसका जिला मुख्यालय नवादा शहर है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन समय में इस जगह पर कई शासकों ने लम्बे समय तक शासन किया था।

नवादा (Nawada) में कई छोटे और बड़े प्रमुख गांव और मुहल्ले है जैसे- गोन्दापुर, इन्दिरा चौक, स्टेशन रोड, मेन रोड, पुरानी बाजार, गढ़ पर, न्यू एरिया, प्रसाद विगहा, इत्यादि।

इतिहास

नवादा (Nawada) को ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन समय में यह शक्तिशाली मगध साम्राज्य का अंग रहा है। इस जगह पर वृहद्रथ, मौर्य, गुप्त एवं कण्व शासकों ने लम्बे समय तक शासन किया है। मगध के शक्तिशाली बनने के पूर्व यह क्षेत्र महाभारत कालीन राजा जरासंध के शासन प्रदेश का हिस्सा था। तपोबन को जरासंध की जन्मभूमि माना जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि भीम ने पकड़डीहा में जरासंध को मल्लयुद्ध में हराया था। मगध के पतन एवं शासन का क्षेत्रीयकरन हो जाने के बाद भी वजीरगंज से 5 किमी उत्तर-पश्चिम स्थित कुर्किहार, नवादा में पाल वंश का महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा।

बोधगया एवं पारसनाथ से निकटता के चलते यह क्षेत्र बौद्ध भिक्षुओं एवं जैन मुनियों का तपस्या स्थल रहा है। वारसलीगंज से 10 किमी दूर दरियापुर पार्वती में कपोतक बौद्ध-विहार के अवशेष मिले हैं। अपसर गाँव में राजा आदित्यसेन ने महत्वपूर्ण इमारतें एवं अवलोकितेश्वर की मूर्ति स्थापित करवाई थी। सीतामढी, बारतगढ, नारदीगंज जैसे जगह आदिकाल से हिंदू आस्था के केंद्र रहे हैं।

1857 में अंग्रेजो से लड़ी गयी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय यहाँ के वीर बांकुड़ों ने नवादा को अंग्रेजी शासन से मुक्त करा लिया था। सन 1850 के आसपास अंग्रेजों द्वारा बसाए जा रहे नए उपनिवेश में गिरमिटिया मजदूरों की एक बड़ी खेप गुएना, फिजी एवं रियूनियन आईलैंड में बस गए जहाँ उन्होंने एक नए भारत का निर्माण किया।

स्वतंत्रता पश्चात भारत के पहले राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद ने शेखोदेवरा गाँव में सर्वोदय आश्रम की स्थापना की थी। इस आश्रम में जय प्रकाश नारायण ने भी अपना महत्वपूर्ण समय गुजारा। नवादा के पद्म भूषण प्रसाद एवं पंडित सियाराम तिवारी ध्रुपद एवं ठुमरी शैली के श्रेष्ठ गायकों में शुमार हैं। गौरवशाली इतिहास के विविध रंगों में रंगा नवादा जिला (Nawada District) पिछले वर्षों में राज्य सरकार की उपेक्षा का शिकार रहा है।